भारत में गुरुकुल परंपरा सदियों से ज्ञान का एक समृद्ध स्रोत रही है। लेकिन आज के तकनीकी युग में यह शिक्षा पद्धति हाशिए पर चली गई थी। ऐसे में शिक्षा मंत्रालय द्वारा शुरू की गई ‘सेतुबंध विद्वान योजना’ एक क्रांतिकारी पहल है। इस योजना के तहत गुरुकुल से पढ़े छात्रों को अब भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थानों (IIT) जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में उच्चस्तरीय शोध का अवसर मिलेगा। यह योजना भारतीय शिक्षा नीति 2020 के सिद्धांतों को धरातल पर उतारने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
Table of Contents
‘सेतुबंध विद्वान योजना’ का उद्देश्य: परंपरा और आधुनिकता का सेतु
सेतुबंध विद्वान योजना का प्रमुख उद्देश्य भारत की प्राचीन गुरुकुल प्रणाली को आधुनिक विज्ञान और शैक्षणिक अनुसंधान से जोड़ना है। इसका उद्देश्य उन छात्रों को उच्च शिक्षा में समान अवसर देना है जो पारंपरिक रूप से शास्त्र, आयुर्वेद, ज्योतिष, दर्शन, और अन्य भारतीय ज्ञान परंपरा से शिक्षित हैं। यह योजना छात्रों को न केवल सम्मान देती है, बल्कि उन्हें समाज और विज्ञान के लिए उपयोगी शोधकर्ता बनने का मार्ग भी देती है।
‘सेतुबंध विद्वान योजना’ का क्रियान्वयन: IKS और CSU की भूमिका
इस योजना की शुरुआत भारत सरकार के शिक्षा मंत्रालय द्वारा की गई है और इसे भारतीय ज्ञान प्रणाली (IKS) प्रभाग द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है। योजना का तकनीकी और अकादमिक संचालन केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय (CSU) के माध्यम से किया जाएगा। यह दोनों संस्थान पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और उसे आधुनिक शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने में विशेष योगदान दे रहे हैं।
पात्रता मानदंड: कौन कर सकता है आवेदन?
इस योजना के अंतर्गत शोध के लिए आवेदन करने वाले उम्मीदवारों को निम्नलिखित योग्यता शर्तें पूरी करनी होंगी।
गुरुकुल प्रशिक्षण: किसी मान्यता प्राप्त गुरुकुल से कम से कम 5 वर्षों का कठोर प्रशिक्षण।
कौशल प्रमाण: शास्त्रों या पारंपरिक ज्ञान में उत्कृष्टता का प्रमाण प्रस्तुत करना होगा।
आयु सीमा: आवेदन के समय अधिकतम 32 वर्ष तक की आयु।इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि आवेदक वास्तव में पारंपरिक विद्या में गहराई से शिक्षित हो और वह शोध के लिए तैयार हो।
छात्रवृत्ति और शोध अनुदान: आर्थिक सहायता की दो श्रेणियाँ
इस योजना के अंतर्गत छात्रों को शोध के लिए आर्थिक सहायता दो श्रेणियों में प्रदान की जाएगी।
श्रेणी 1: स्नातकोत्तर समकक्ष ₹40,000 प्रति माह फेलोशिप और ₹1 लाख वार्षिक अनुसंधान अनुदान।
श्रेणी 2: पीएचडी समकक्ष ₹65,000 प्रति माह फेलोशिप और ₹2 लाख वार्षिक अनुसंधान अनुदान। इस वित्तीय सहायता से छात्रों को अपने शोध को स्वतंत्र रूप से आगे बढ़ाने में सहायता मिलेगी। साथ ही यह उन्हें आत्मनिर्भर और अनुसंधान के लिए प्रेरित बनाएगी।
‘सेतुबंध विद्वान योजना’ क्यों है महत्वपूर्ण?
- भारतीय शिक्षा नीति 2020 का सशक्त क्रियान्वयन
- यह योजना NEP-2020 के उस लक्ष्य को साकार करती है जिसमें बहुविषयक, समावेशी और भारत-केंद्रित शिक्षा को बढ़ावा दिया गया है।
- गुरुकुल छात्रों को सम्मान और अवसर: पहली बार गुरुकुल से पढ़े छात्रों को IIT जैसे संस्थानों में शोध का अवसर मिल रहा है। यह न केवल उन्हें बराबरी का दर्जा देता है, बल्कि उनकी प्रतिभा को मुख्यधारा में लाता है।
- परंपरागत ज्ञान की वैज्ञानिक मान्यता: आयुर्वेद, ज्योतिष, वास्तु, दर्शन जैसे विषयों को शोध के माध्यम से प्रमाणिकता और आधुनिक संदर्भ में उपयोग की दिशा में अग्रसर किया जा सकेगा।
- युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पहल: छात्रवृत्ति और अनुदान से यह योजना विद्यार्थियों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाती है, जिससे वे स्वतंत्र रूप से शोध कर सकें।
भविष्य की संभावनाएं: शोध से बदलाव की ओर
सेतुबंध विद्यान योजना केवल शैक्षणिक पहल नहीं, बल्कि भारत के वैदिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान के बीच एक सशक्त सेतु है। साथ ही इसके माध्यम से पारंपरिक ज्ञान को नई पहचान मिलेगी। और अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारतीय दर्शन और विज्ञान की भागीदारी बढ़ेगी भारत को “ज्ञान की भूमि” के रूप में वैश्विक मान्यता प्राप्त होगी।
निष्कर्ष
सेतुबंध विद्वान योजना भारत की शैक्षिक परंपरा और नवाचार को जोड़ने वाला वह अद्भुत प्रयास है, जो न केवल गुरुकुल से पढ़े छात्रों को मुख्यधारा में लाता है, बल्कि शोध, रोजगार और वैश्विक ज्ञान में उनकी भागीदारी सुनिश्चित करता है। यह योजना एक ऐतिहासिक बदलाव का संकेत है, जो प्राचीन भारत को भविष्य के भारत से जोड़ता है।