आंध्र प्रदेश में डिजी-लक्ष्मी योजना 2025: शहरी गरीब महिलाओं को डिजिटल उद्यमिता से सशक्त बनाने की पहल

आधुनिक भारत में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में केंद्र और राज्य सरकारें निरंतर प्रयास कर रही हैं। इसी कड़ी में आंध्र प्रदेश सरकार ने 30 जून 2025 को एक ऐतिहासिक कदम उठाया है, जिसका उद्देश्य शहरी गरीब महिलाओं को डिजिटल सेवा प्रदाता और लघु उद्यमी के रूप में स्थापित करना है। इस नई पहल का नाम डिजी-लक्ष्मी योजना रखा गया है। इस योजना का उद्देश्य है—आर्थिक रूप से पिछड़ी महिलाओं को डिजिटल रूप से प्रशिक्षित कर आत्मनिर्भर बनाना और शहरी सेवाओं को आम नागरिकों तक पहुंचाना।

इस आर्टिकल में हम विस्तार से जानेंगे डिजी-लक्ष्मी योजना क्या है, इसका उद्देश्य, पात्रता, लाभ, सरकारी भूमिका और इसके सामाजिक-आर्थिक प्रभाव।

डिजी-लक्ष्मी योजना: एक परिचय

डिजी-लक्ष्मी योजना आंध्र प्रदेश की एक अभिनव पहल है, जिसे शहरी गरीब महिलाओं को डिजिटल उद्यमिता से जोड़कर उनके लिए रोज़गार और स्वावलंबन के अवसर पैदा करने के उद्देश्य से शुरू किया गया है। यह योजना प्रदेश के सभी शहरी स्थानीय निकायों (ULB) में लागू की जा रही है। योजना के अंतर्गत 9,034 कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) की स्थापना की गई है, जिन्हें डिजिटली सशक्त महिला उद्यमियों द्वारा संचालित किया जाएगा।

डिजी-लक्ष्मी योजना का मुख्य उद्देश्य है।

शहरी गरीब महिलाओं को डिजिटल सेवा प्रदाता बनाना।

उन्हें लघु उद्यमी के रूप में स्थापित करना।

सरकारी सेवाओं की पहुंच आम जनता तक डिजिटल माध्यम से कराना।

महिलाओं को One Family, One Entrepreneur (OF-OE) पहल के तहत आत्मनिर्भर बनाना।

यह योजना सीधे तौर पर महिलाओं की भागीदारी को बढ़ावा देती है और डिजिटल इंडिया के लक्ष्य में एक ठोस योगदान देती है।

डिजी-लक्ष्मी योजना कैसे काम करती है?

इस योजना के अंतर्गत चयनित महिलाएं डिजिटल कियोस्क (ATOM Kiosk) संचालित करेंगी। इन कियोस्क के माध्यम से नागरिकों को 250 से अधिक सरकारी सेवाएं मिल सकेंगी, जैसे- बिजली-पानी के बिलों का भुगतान, जन्म/मृत्यु प्रमाणपत्र बनवाना, पेंशन, राशन कार्ड, आय प्रमाणपत्र आदि के लिए आवेदन, राज्य व केंद्र की योजनाओं का पंजीकरण इससे न सिर्फ नागरिकों को सुविधा होगी, बल्कि महिलाओं को एक स्थायी आय स्रोत भी प्राप्त होगा।

कौन महिलाएं चला सकती हैं ये सेवा केंद्र?

डिजी-लक्ष्मी योजना के तहत कियोस्क चलाने के लिए कुछ न्यूनतम योग्यताएं निर्धारित की गई हैं।

आयु सीमा– महिला की उम्र 21 से 40 वर्ष के बीच होनी चाहिए।वैवाहिक स्थिति- महिला स्थायी रूप से विवाहित हो और उसी क्षेत्र की निवासी हो।

समूह सहभागिता– महिला कम से कम 3 वर्षों से सक्रिय SHG (Self Help Group) की सदस्य होनी चाहिए।

शैक्षणिक योग्यता– स्नातक डिग्री प्राप्त होनी चाहिए।

बुनियादी कंप्यूटर और तकनीकी ज्ञान होना आवश्यक है।

प्रशिक्षण और आर्थिक सहायता

महिलाओं को योजना के तहत MEPMA (Mission for Elimination of Poverty in Municipal Areas) द्वारा प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्हें निम्न सुविधाएं दी जाएंगी।

डिजिटल सेवा संचालन का प्रशिक्षण

कियोस्क प्रबंधन और सरकारी सेवाओं की जानकारी

₹2 लाख से ₹2.5 लाख तक का ऋण

कियोस्क स्थापित करने में तकनीकी और वित्तीय सहायता

यह प्रशिक्षण महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

योजना की सरकारी भूमिका

डिजी-लक्ष्मी योजना को आंध्र प्रदेश के नगर प्रशासन एवं शहरी विकास विभाग (MA&UD) ने लागू किया है। इसे G.O. MS. No. 117 के तहत विधिवत रूप से अधिसूचित किया गया है। राज्य सरकार ने योजना की निगरानी और क्रियान्वयन की जिम्मेदारी MEPMA को दी है।

राज्य के मंत्री श्री श्रीधर बाबू ने योजना की लॉन्चिंग के दौरान बताया कि यह पहल शहरी गरीब महिलाओं को डिजिटल अर्थव्यवस्था का हिस्सा बनाने की दिशा में बड़ा कदम है। इस योजना से जुड़े कुछ प्रमुख लाभ निम्नलिखित हैं।

1. महिलाओं का सशक्तिकरण– डिजी-लक्ष्मी योजना महिलाओं को डिजिटल ज्ञान और स्वरोजगार दोनों प्रदान करती है, जिससे वे आत्मनिर्भर बनती हैं।

2. नागरिकों को बेहतर सेवा– यह योजना आम जनता को उनके निकटतम केंद्र पर 250+ सरकारी सेवाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध कराती है।

3. डिजिटल इंडिया मिशन को मजबूती– डिजिटल कियोस्क के माध्यम से योजना देश के डिजिटल इंडिया मिशन को भी गति प्रदान करती है।

4. शहरी गरीबी में कमी– महिलाओं को स्वरोजगार मिलने से शहरी गरीबी में भी कमी आएगी और सामाजिक असमानता घटेगी।

डिजी-लक्ष्मी योजना का सामाजिक प्रभाव

यह योजना केवल एक सरकारी कार्यक्रम नहीं बल्कि एक सामाजिक क्रांति है।

महिलाएं अपने परिवारों का आर्थिक आधार बन रही हैं।

समाज में महिला नेतृत्व को बढ़ावा मिल रहा है, बेटियों की शिक्षा व स्वास्थ्य पर खर्च बढ़ने की संभावना है।

डिजिटल लैंगिक अंतर को खत्म करने की दिशा में कदम।

चुनौतियां और समाधान

1. तकनीकी बाधाएं- बुनियादी तकनीकी जानकारी का अभाव योजना की सफलता में बाधक हो सकता है।

समाधान – चरणबद्ध तकनीकी प्रशिक्षण देना।

2. सांस्कृतिक रुकावटें – कुछ क्षेत्रों में महिलाओं को कार्यस्थल पर जाने की स्वतंत्रता नहीं है।

समाधान – समुदाय आधारित जागरूकता अभियान चलाना।

3. वित्तीय समझ की कमी – महिलाएं ऋण लेने और उसे प्रबंधित करने में कठिनाई महसूस कर सकती हैं।

समाधान – वित्तीय साक्षरता प्रशिक्षण देना।

भविष्य की योजना और विस्तार

राज्य सरकार का लक्ष्य है कि आने वाले वर्षों में डिजी-लक्ष्मी योजना को 50,000 कियोस्क तक बढ़ाया जाए और ग्रामीण क्षेत्रों में भी योजना का विस्तार किया जाए, महिलाओं के लिए इंश्योरेंस, पेंशन और निवेश योजनाएं जोड़कर वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित की जाए, योजना को स्टार्टअप इंडिया और मुद्रा योजना से जोड़ा जाए।

निष्कर्ष

डिजी-लक्ष्मी योजना 2025 केवल एक योजना नहीं बल्कि महिला सशक्तिकरण की दिशा में आंध्र प्रदेश सरकार का दूरदर्शी प्रयास है। यह पहल न सिर्फ महिलाओं को रोजगार दे रही है, बल्कि उन्हें डिजिटल युग का हिस्सा भी बना रही है। जब महिलाएं तकनीकी रूप से सक्षम और आर्थिक रूप से स्वतंत्र होती हैं, तो पूरे समाज की समृद्धि का मार्ग प्रशस्त होता है। ऐसी योजनाएं अन्य राज्यों के लिए भी प्रेरणा स्रोत बन सकती हैं। डिजी-लक्ष्मी योजना इस बात का प्रमाण है कि जब नीति में नीयत और दृष्टि दोनों होती है, तो सामाजिक परिवर्तन की राह आसान हो जाती है।

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