‘असम सरकार ने शुरू की ‘गज मित्र योजना’: असम में 1,209 हाथियों की मौत के बाद सरकार की नई पहल !

असम सरकार ने शुरू की ‘गज मित्र योजना’। जुलाई 2025 में सीएम ने मंत्रिमंडल में इस योजना को मंजूरी दे दी है। असम राज्य का प्राकृतिक सौंदर्य और समृद्ध जैव विविधता भारत ही नहीं, पूरी दुनिया के लिए एक अमूल्य धरोहर है। लेकिन इसी धरोहर को आज सबसे बड़ा खतरा बन चुका है इंसान और वन्य जीवों के बीच बढ़ता टकराव। वर्ष 2000 से 2023 के बीच केवल असम में ही 1,209 हाथियों की मौत इस संघर्ष का प्रमाण है। इसी बीच मानव जीवन की भी 1,400 से अधिक बलि चढ़ चुकी है।

Wildlife institute of India (WII) की रिपोर्ट ने इस गंभीर स्थिति को उजागर किया, जिसके बाद असम सरकार ने ‘गज मित्र योजना’ की घोषणा की है। असम सरकार ने राज्य के 8 सबसे ज़्यादा मानव-हाथी संघर्ष वाले ज़िलों ग्वालपाड़ा, बक्सा, उदलगुड़ी, सोंतीपुर, नागांव, गोलाघाट, जोरहाट और विश्वनाथ में गज मित्र योजना के कार्यान्वयन को मंज़ूरी दे दी है। 10 जुलाई 2025 को CM हिमंत बिस्वा सरमा की अध्यक्षता में असम मंत्रिमंडल की बैठक में ‘गज मित्र योजना’ को मंजूरी दे दी गई। यह योजना असम राज्य के 80 संवेदनशील गांवों में लागू की जा रही है ताकि इंसानों और हाथियों के बीच शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व को बढ़ावा मिल सके।

1,209 हाथियों की मौत: WII की रिपोर्ट के मुख्य बिंदु

वर्ष 2000 से 2023 के दौरान असम में 1,209 हाथियों की मौत हुई।

इनमें से 626 हाथियों की मौतें मानवजनित गतिविधियों (Anthropogenic causes) के कारण हुईं।

209 हाथियों की मौत करंट लगने (Electrocution) से हुई।

अन्य कारणों से हुईं मौत

दुर्घटनाएं (127 मौतें), अन्य मानवजनित तनाव (97 मौतें), रेल हादसे (67 मौतें), शिकार (55 मौतें), जहर देना (62 मौतें) , प्रतिशोध में हत्या (5 मौतें), वाहन टक्कर (4 मौतें) यह डेटा दर्शाता है कि कैसे इंसानी हस्तक्षेप, बिजली के तार, रेलवे लाइनें और खाद्य की कमी हाथियों की जान ले रही

‘गज मित्र योजना’ क्या है?

असम सरकार ने शुरू की 'गज मित्र योजना'

गज मित्र योजना असम सरकार की एक नवाचारी पहल है जिसका उद्देश्य मानव-हाथी संघर्ष को कम करना, हाथियों की सुरक्षा सुनिश्चित करना और गांवों में शांति स्थापित करना है। इस योजना के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं:

1. हाथियों के लिए सुरक्षित आवास और गलियारे बनाना।

2. ग्रामीणों को हाथियों से नॉन-वायलेंट तरीकों से निपटने की ट्रेनिंग देना।

3. रेपिड रिस्पॉन्स टीमों (RRT) की नियुक्ति, जो संकट की स्थिति में तेजी से कार्रवाई करें।

4. समुदाय आधारित सहभागिता और जागरूकता अभियान चलाना।

‘गज मित्र योजना’ के तहत हाथियों की सुरक्षा के लिए तैनात होंगे ‘गज मित्र’

हर संवेदनशील क्षेत्र में कुछ स्थानीय ग्रामीणों को प्रशिक्षण देकर ‘गज मित्र’ नियुक्त किया जाएगा।

ये लोग हाथियों की गतिविधियों पर नज़र रखेंगे और वन विभाग को सूचना देंगे।

गांवों में हाथियों के प्रवेश को नियंत्रित करेंगे।

बच्चों और महिलाओं को सुरक्षा देंगे।

हाथियों को शांति से बाहर निकालने में मदद करेंगे।

ये ‘गज मित्र’ हाथियों और इंसानों के बीच विश्वास की एक कड़ी होंगे।

प्रभावित क्षेत्र: कौन से जिले हैं सर्वाधिक संकटग्रस्त?

WII की रिपोर्ट के अनुसार असम के नगांव, सोनितपुर पश्चिम, धनसिरी और कार्बी आंगलोंग पूर्व जिले सबसे अधिक प्रभावित हैं। रिपोर्ट बताती है कि 527 गांव इन संघर्षों से प्रत्यक्ष प्रभावित हैं। इनमें से गोलपारा जिला सबसे अधिक संवेदनशील क्षेत्र है।संघर्षों के कारण फसलों की हानि और आर्थिक नुकसान भी हुआ है।

कई मामलों में हाथियों की मौत भूख, पानी और पारंपरिक मार्गों के अवरुद्ध होने से भी हुई है।

मौत का कारण: करंट, टक्कर और शिकार

मुख्य रूप से हाथियों की मौत के पीछे कारण हैं:

अवैध बिजली तारों की बाड़: किसान अपनी फसलों को जंगली जानवरों से बचाने के लिए बिजली की बाड़ लगाते हैं, जो हाथियों के लिए जानलेवा साबित होती है।

रेल और वाहन हादसे: जंगलों को काटकर बनी रेलवे लाइनों और सड़कों पर हाथियों की टक्कर से मौत होती है।

भोजन और पानी की कमी: हाथियों के पारंपरिक रास्तों पर निर्माण होने से वे गांवों की ओर भटकते हैं।

शिकार और ज़हर देना: कुछ क्षेत्रों में हाथियों को जानबूझकर ज़हर देकर मारा जाता है।

मुख्यमंत्री का बयान: स्थिति अब नियंत्रण से बाहर

मुख्यमंत्री हिमंत बिस्व सरमा ने स्पष्ट किया है कि मानव-हाथी संघर्ष की स्थिति अब बेकाबू हो चुकी है। सरकार को अब तत्काल कार्रवाई करनी होगी ताकि हाथियों की मौत रुके।

गांवों की सुरक्षा सुनिश्चित हो और मानव जीवन की रक्षा हो।उन्होंने स्पष्ट किया कि ‘गज मित्र योजना’ राज्य के लिए दीर्घकालिक समाधान साबित होगी।

भविष्य की रणनीति: आगे के कदम

सरकार ने भविष्य में निम्नलिखित कदम उठाने की योजना बनाई है:

1. स्थायी आवास विकास: हाथियों के लिए विशेष कॉरिडोर और जल स्रोत।

2. प्राकृतिक आवागमन मार्ग बहाल करना: पुराने हाथी गलियारे फिर से खोलना।

3. जागरूकता कार्यक्रम: स्कूल, पंचायत और स्थानीय समुदायों में शिविर।

4. संवेदनशील इलाकों में CCTV और सेंसर टेक्नोलॉजी का प्रयोग।

5. फसल बीमा योजना का विस्तार, जिससे किसान फसलों की रक्षा के लिए खतरनाक उपाय न अपनाएं।

निष्कर्ष: ‘गज मित्र योजना’ से बनेगा ‘गज मित्र’ असम की नई पहचान

मानव-हाथी संघर्ष एक ऐसा संकट है जो केवल कानून या योजना से हल नहीं हो सकता, इसके लिए समुदाय की भागीदारी, तकनीक का सहयोग और सरकार की संवेदनशीलता आवश्यक है।

‘गज मित्र योजना’ इसी दिशा में एक साहसिक और महत्वपूर्ण कदम है। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए तो यह योजना असम ही नहीं, भारत के अन्य हिस्सों के लिए भी एक रोल मॉडल बन सकती है।

परीक्षा संबंधित पॉइंट

  • असम सीएम – Himanta Biswa Sarma
  • राज्यपाल- Lakshman Acharya
  • राजधानी- Dispur
  • राज्यसभा सीट – 7
  • लोकसभा सीट – 14

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