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TATA MOTORS का ‘कौशल्या कार्यक्रम’: जब आदिवासी बेटियां बनीं मोटर मैकेनिक, बदली सोच और समाज

हर वर्ष 15 जुलाई को मनाया जाने वाला विश्व युवा कौशल दिवस (World Youth Skills Day) न केवल युवाओं में स्किल डेवलपमेंट की जरूरत को रेखांकित करता है, बल्कि समाज में बदलाव लाने वाले नवाचारों की कहानियों को भी सामने लाता है। वर्ष 2025 के इसी अवसर पर टाटा मोटर्स ने झारखंड के जमशेदपुर से TATA MOTORS का ‘कौशल्या कार्यक्रम’ की एक ऐसी पहल शुरू की गई जो आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा बनेगी।

‘कौशल्या कार्यक्रम’ के अंतर्गत पहली बार एक ऑल-गर्ल्स बैच को मोटर मैकेनिक के रूप में प्रशिक्षित और प्रमाणित किया गया। इस ऐतिहासिक उपलब्धि ने न सिर्फ जेंडर स्टीरियोटाइप्स को तोड़ा, बल्कि आदिवासी युवतियों को एक नई पहचान और भविष्य की दिशा दी।

1. TATA MOTORS का ‘कौशल्या कार्यक्रम’: उद्देश्य और शुरुआत

“कौशल्या कार्यक्रम के अंतर्गत लड़कियां, मोटर मैकेनिक की ट्रेनिंग लेते हुए:photo/TATA MOTORS

झारखंड के चांदिल, जमशेदपुर और पोटका क्षेत्र की 13 युवा आदिवासी बेटियों को चुना गया, जो तीन अलग-अलग ग्राम पंचायतों से mobilize की गई थीं। इन युवतियों को Mechanical Motor Vehicle (MMV) ट्रेनिंग मॉड्यूल के अंतर्गत प्रशिक्षित किया गया।

यह प्रशिक्षण एक गहन और व्यावहारिक कार्यक्रम था, जिसका उद्देश्य सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े इलाकों की युवतियों को रोजगार योग्य बनाना था।

प्रशिक्षण की प्रमुख विशेषताएं:

50 दिनों की क्लासरूम ट्रेनिंग (Tata Motors के कमर्शियल वाहन कंपोनेंट्स पर केंद्रित)

1 वर्ष की ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग (OJT) अधिकृत सर्विस स्टेशन और डीलरशिप्स पर पूर्ण समर्थन: यूनिफॉर्म, सुरक्षा गियर, आवास, और मासिक स्टाइपेंड की सुविधा

सामुदायिक सहभागिता और परामर्श सत्रों के जरिए सामाजिक अवरोधों को दूर करना

2. सामाजिक स्टीरियोटाइप्स को तोड़ती बेटियां

इन बेटियों की कहानी केवल प्रशिक्षण की नहीं, बल्कि साहस, संघर्ष और सपनों की भी है। इनमें से कई ने स्कूल छोड़ दिया था, और आर्थिक रूप से कमजोर परिवारों से आती हैं। परंतु टाटा मोटर्स के इस कार्यक्रम ने उन्हें पारंपरिक पुरुष-प्रधान क्षेत्रों में काम करने का हौसला दिया।

चुनौतियाँ और समाधान:

परिवारों की मानसिकता बदलना – परामर्श सत्रों और सामाजिक संवाद से संभव हुआ

सुरक्षा और आत्मविश्वास – सुरक्षित प्रशिक्षण माहौल, महिला प्रधान बैच और नेतृत्व निर्माण

स्थानीय नेतृत्व का समर्थन – गांव के नेताओं और शिक्षकों ने अहम भूमिका निभाई

3. TATA MOTORS का दृष्टिकोण: CSR का एक आदर्श मॉडल

विनोद कुलकर्णी, जो कि टाटा मोटर्स के CSR हेड हैं, उन्होंने इस कार्यक्रम पर कहा:

> “हमने आदिवासी समुदाय की लड़कियों के लिए एक सुरक्षित, सहायक और प्रेरणादायक वातावरण बनाया, जिससे वे अपने सपनों की उड़ान भर सकें। ये लड़कियां न केवल सामाजिक बाधाओं को तोड़ रही हैं, बल्कि वे प्रेरणादायक करियर की ओर भी अग्रसर हो रही हैं।”

उनका यह बयान स्पष्ट करता है कि टाटा मोटर्स का यह प्रयास केवल CSR की खानापूर्ति नहीं, बल्कि सामाजिक परिवर्तन की एक गंभीर और संवेदनशील पहल है।

4. TATA MOTORS का ‘कौशल्या कार्यक्रम’ की विशेषताएं

विशेषता विवरण
लक्ष्य महिला सशक्तिकरण और आदिवासी युवाओं को तकनीकी प्रशिक्षण
स्थानझारखंड (जमशेदपुर, चांदिल, पोटका)
प्रशिक्षणMechanical Motor Vehicle Module
अवधि50 दिन क्लासरूम 1 वर्ष OJT
संस्थानVikas Samities और टाटा मोटर्स डीलरशिप्स
सुविधाएंयूनिफॉर्म, स्टाइपेंड, आवास, सुरक्षा गियर
सहभागी संख्याप्रारंभ में 13 लड़कियां सहयोगी

5. TATA MOTORS का ‘कौशल्या कार्यक्रम’ महिला सशक्तिकरण के क्षेत्र में एक ऐतिहासिक कदम

भारत में आज भी टेक्निकल फील्ड विशेषकर ऑटोमोटिव में महिलाओं की भागीदारी बहुत कम है। ऐसे में यह पहल न केवल सामाजिक रूढ़ियों को चुनौती देती है, बल्कि अन्य कंपनियों और संस्थाओं को भी प्रेरणा देती है। यह कार्यक्रम बताता है कि यदि रास्ता दिखाने वाला हाथ और विश्वास मिल जाए, तो कोई भी लड़की किसी भी क्षेत्र में नाम कर सकती है – चाहे वह मोटर मैकेनिक बनना ही क्यों न हो।

6. भारत की युवा शक्ति और CSR की भूमिका

आज जब भारत अपने डेमोग्राफिक डिविडेंड का लाभ उठाना चाहता है, तो ऐसी पहलें न केवल रोज़गार का साधन बनती हैं, बल्कि सामाजिक संतुलन और समानता की दिशा में भी मील का पत्थर साबित होती हैं। टाटा मोटर्स जैसी कंपनियां जब अपने CSR कार्यों को समुदाय की वास्तविक ज़रूरतों के साथ जोड़ती हैं, तो वह केवल विकास नहीं बल्कि समावेशी विकास का उदाहरण पेश करती हैं।

7. प्रशिक्षण से आगे की राह: करियर और प्रेरणा

प्रशिक्षण पूरा करने के बाद ये युवतियां अब टाटा मोटर्स के अधिकृत डीलरशिप्स और सर्विस सेंटरों में अपनी ऑन-द-जॉब ट्रेनिंग कर रही हैं। साथ ही, वे अपने परिवार और गांव की अन्य लड़कियों के लिए भी प्रेरणा बन चुकी हैं।

अब ये बेटियां न केवल आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बन रही हैं, बल्कि वे समाज में सम्मानजनक स्थान भी प्राप्त कर रही हैं।

भविष्य की संभावनाएं और विस्तार – टाटा मोटर्स ने संकेत दिया है कि भविष्य में वे इस कार्यक्रम को और अधिक गांवों और राज्यों में विस्तार देने की योजना बना रहे हैं। साथ ही, महिलाओं के लिए अन्य टेक्निकल और नॉन-टेक्निकल क्षेत्रों में भी स्किल ट्रेनिंग की संभावनाएं तलाशी जा रही हैं।

निष्कर्ष: उम्मीद, हुनर और हिम्मत की कहानी

कौशल्या कार्यक्रम’ केवल एक स्किल डेवलपमेंट प्रोजेक्ट नहीं है, यह उम्मीदों को पंख देने की यात्रा है। टाटा मोटर्स ने यह साबित कर दिया है कि यदि अवसर, मार्गदर्शन और सुरक्षा मिले, तो कोई भी लड़की दुनिया बदल सकती है। इन 13 आदिवासी लड़कियों की यात्रा न केवल ऑटोमोटिव वर्कशॉप की ग्रीस और औजारों के बीच रुकी नहीं, बल्कि उन्होंने एक ऐसे समाज को जन्म दिया है, जहां लड़कियों को केवल सपना नहीं देखना, बल्कि उसे साकार करना भी सिखाया जाता है।

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