स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 सिर्फ एक सर्वे नहीं, बल्कि भारत के स्वच्छ भविष्य की तस्वीर है। यह एक ऐसा प्रयास है जो सिर्फ कचरा उठाने की प्रक्रिया तक सीमित नहीं, बल्कि नागरिकों की सोच, शहरों की नीतियों और सरकार के संकल्प को दर्शाता है। इस बार के सर्वे में जो कुछ सामने आया, उसने साबित कर दिया कि भारत का हर कोना स्वच्छता की दौड़ में शामिल है – चाहे वो महानगर हो या छोटा-सा नगर पंचायत।
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स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25: क्या है खास?
- 23 शहर ‘Super Swachh League Cities’ में शामिल हुए
- 5 जनसंख्या श्रेणियों में श्रेष्ठ शहरों को रैंकिंग दी गई
- 34 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को ‘Promising Clean Cities’ का सम्मान मिला
- नई पहलें जैसे – ‘Swachh City Partnership’ और ‘Accelerated Dumpsite Remediation Program’ की घोषणा
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 Super Swachh League Cities 2024-25
PIB के लेख के अनुसार इस बार के सर्वेक्षण में इंदौर, सूरत, और नवी मुंबई जैसे बड़े शहर फिर एक बार अग्रिम पंक्ति में रहे। इन शहरों ने 10 लाख से अधिक आबादी की श्रेणी में बाज़ी मारी।

जनसंख्या श्रेणी | टॉप शहर |
10 लाख से अधिक | इंदौर, सूरत, नवी मुंबई |
3-10 लाख | नोएडा, चंडीगढ़, मैसूर |
50,000 – 3 लाख | तिरुपति, अंबिकापुर, लोनावला |
20,000 – 50,000 | विटा, पलवल, डूंगरपुर |
20,000 से कम | पंचगनी, पाटन, परालखा |
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 Swachh Shehar (5 जनसंख्या श्रेणियों में टॉप शहर)

1. 10 लाख तक आबादी वाले शहर।
1. अहमदाबाद – रैंक 1
2. भोपाल – रैंक 2
3. लखनऊ – रैंक 3
2. 3 लाख – 10 लाख तक आबादी वाले शहर
1. मीरा-भायंदर 2. बिलासपुर 3. जमशेदपुर
3. 50,000 – 3 लाख तक आबादी वाले शहर
1. देवास 2. करहाड़ 3. करनाल
4. 20,000 – 50,000 तक आबादी वाले शहर
1. पणजी 2. अस्का 3. कुम्हारी
5. 20,000 से कम आबादी वाले शहर
1. बिल्हा 2. चिकीटी 3. शाहगंज
नई सरकारी पहलें: सफाई के लिए स्मार्ट रणनीति
Swachh City Partnership
देश के 78 टॉप परफॉर्मिंग शहरों को जिम्मेदारी दी गई है कि वे कम प्रदर्शन करने वाले शहरों का मार्गदर्शन करें। ‘जरूरतमंद की मदद’ के विचार पर आधारित यह योजना है।
उद्देश्य: सीखने की साझेदारी, एक स्वच्छ शहर, एक गरीब शहर को गोद लेगा
प्रेरणा, मार्गदर्शन और संसाधन साझा होंगे
Accelerated Dumpsite Remediation Program
शुरुआत: 15 अगस्त 2025
समयावधि: 1 वर्ष
लक्ष्य: कचरा डंप साइट को तेजी से साफ करना
वैज्ञानिक तरीके से वेस्ट मैनेजमेंट
शहरी भूमि को फिर से उपयोग में लाना
‘वेस्ट इज़ वेल्थ’ की सोच
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने अपने संबोधन में कहा:
> “कचरे को मूल्य समझना जरूरी है। यह रोजगार, अवसर और स्टार्टअप का साधन बन सकता है। यह सोच हमारी संस्कृति और संस्कार का हिस्सा है।”
राष्ट्रपति ने छोटे शहरों की सराहना करते हुए कहा कि जिनकी जनसंख्या 1 लाख से कम है, उन्होंने भी उत्कृष्ट स्तर की स्वच्छता प्रदर्शित की है।
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 में 34 राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों को मिला ‘Promising Clean Cities’ का सम्मान
हर राज्य से एक शहर को सम्मान मिला – यानी एक प्रकार से पूरे देश की भागीदारी सुनिश्चित की गई। छोटे शहरों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘One City, One Award’ का सिद्धांत अपनाया गया।
उत्तर प्रदेश – मथुरा-वृंदावन
बिहार – बक्सर
मध्य प्रदेश – सिंगरौली
कर्नाटक – बागलकोट
महाराष्ट्र – नंदुरबार
(बाकी सूची पीआईबी पर उपलब्ध है)
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
स्वच्छ सर्वेक्षण भारत सरकार की सबसे बड़ी शहरी स्वच्छता मूल्यांकन प्रणाली है, जिसकी शुरुआत 2016 में हुई थी। इसका मुख्य उद्देश्य है: भारत के शहरों और कस्बों में स्वच्छता की स्थिति को मापना,शहरों के बीच प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देना, नागरिक भागीदारी को प्रेरित करना, और स्वच्छ भारत मिशन के तहत स्वच्छता को जन आंदोलन बनाना।
स्वच्छ सर्वेक्षण को केंद्रीय आवास और शहरी कार्य मंत्रालय (Ministry of Housing and Urban Affairs – MoHUA) द्वारा शुरू किया गया था।
भविष्य की राह: 2047 तक ‘विकसित भारत’
10 वर्षों के स्वच्छ भारत मिशन की सफलता के बाद, अब अगला लक्ष्य है 2047 तक एक विकसित और स्वच्छ भारत बनाना – और यह केवल नीति से नहीं, जनता की भागीदारी से संभव होगा।
निष्कर्ष
स्वच्छ सर्वेक्षण 2024-25 ने साफ दिखा दिया है कि भारत न केवल स्वच्छता को लेकर गंभीर है, बल्कि उसे एक सामाजिक आंदोलन के रूप में अपना रहा है। इंदौर से लेकर बिल्हा तक, छोटे-बड़े शहरों ने अपने-अपने तरीके से योगदान दिया है। सरकार की नई योजनाएं और नागरिकों की जागरूकता मिलकर भारत को स्वच्छता की नई ऊंचाइयों तक ले जाएंगे।