देशभर में कार्यरत 12 लाख से अधिक रेलवे कर्मचारियों और उनके परिवारों के लिए एक बड़ी और राहत भरी खबर सामने आई है। अब रेलवे की ओर से एक नई योजना लागू की गई है, जिसके तहत अगर किसी कर्मचारी की ड्यूटी के दौरान या कार्यस्थल पर किसी भी प्रकार की दुर्घटना में मृत्यु हो जाती है, तो उसके परिवार को ₹1 करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की जाएगी और सबसे खास बात यह है कि इसके लिए कर्मचारियों को कोई प्रीमियम नहीं देना होगा। रेलवे की नौकरी प्रकृति जोखिम भरी मानी जाती है। ट्रैक पर काम करते समय, तकनीकी कार्यों के दौरान या यार्ड्स में ड्यूटी निभाते वक्त दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है। ऐसे में यह योजना न केवल एक वित्तीय सहायता है, बल्कि यह कर्मचारियों के परिवारों को यह विश्वास भी दिलाती है कि किसी अनहोनी की स्थिति में भारतीय रेलवे उनके साथ मजबूती से खड़ा रहेगा।
प्रथम लाभार्थी मुरादाबाद मंडल के सुशील लाल
इस योजना के तहत पहला मुआवजा उत्तर रेलवे के मुरादाबाद मंडल के कर्मचारी सुशील लाल के परिवार को मिला है। सुशील लाल रेलवे में लोको पायलट थे। मार्च 2025 में ड्यूटी खत्म करने के बाद ट्रेन से उतरते समय सुशील लाल की गिरने से मृत्यु हो गई थी। इसके बाद रेलवे और भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने उनके परिवार को ₹1 करोड़ की राशि का चेक सौंपा। दिल्ली स्थित बड़ौदा हाउस में आयोजित एक कार्यक्रम में उत्तर रेलवे के महाप्रबंधक अशोक वर्मा, अन्य वरिष्ठ रेलवे अधिकारी और SBI के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में यह चेक उनकी पत्नी प्रिया सिंह को प्रदान किया गया।
बैंक साझेदारी और खाता शर्तें
रेलवे ने इस योजना के लिए SBI सहित देश के प्रमुख बैंकों के साथ करार किया है। यह सुनिश्चित किया गया है कि कर्मचारियों का सैलरी अकाउंट बैंक के ‘सैलरी पैकेज’ अकाउंट में बदला जाए। यदि किसी दुर्घटना में मृत्यु होती है, तो बैंक एक्सीडेंट इंश्योरेंस के तहत ₹1 करोड़ की राशि नामित व्यक्ति को देगा। इस योजना के लिए कोई प्रीमियम नहीं लिया जाता, जिससे यह पूरी तरह से निःशुल्क और कर्मचारी हितैषी बनती है।
रेलवे कर्मचारी योजना की जागरूकता और क्रियान्वयन
रेलवे प्रशासन ने इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक जागरूकता अभियान भी चलाया है। रेलवे स्टेशनों और कार्यालयों में पोस्टर और सूचना बोर्ड लगाए गए हैं, ताकि अधिक से अधिक कर्मचारी इस योजना की जानकारी प्राप्त कर सकें।योजना को सफल बनाने में ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन (AIRF) और नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन रेलवेमेन (NFIR) जैसे प्रमुख यूनियनों का भी सहयोग लिया जा रहा है।
महत्व और लाभ
कर्मचारियों के परिवारों को आर्थिक सुरक्षा: दुर्घटना की स्थिति में एक बड़ी राशि मिलने से परिवार की आर्थिक स्थिरता बनी रहती है।
कोई प्रीमियम नहीं: कर्मचारियों पर कोई वित्तीय बोझ नहीं डाला गया है, जिससे यह योजना पूरी तरह से सुविधाजनक है।
भरोसे और उत्साह में वृद्धि: कर्मचारियों में यह भावना बढ़ेगी कि रेलवे उनका ख्याल रखता है और किसी भी अनहोनी की स्थिति में उनके परिवारों को अकेला नहीं छोड़ेगा।
रेलवे की कल्याणकारी सोच की छवि मजबूत होगी: यह योजना रेलवे की कर्मचारी-हितैषी सोच को उजागर करती है और अन्य विभागों के लिए भी एक प्रेरणा बन सकती है।
रेलवे द्वारा उठाया गया यह कदम न केवल एक वित्तीय सहायता का माध्यम है, बल्कि यह एक मानवीय और संवेदनशील निर्णय भी है जो यह दर्शाता है कि सरकार और संस्थान अपने कर्मचारियों के प्रति कितने उत्तरदायी हैं। ऐसी योजनाएं कर्मचारियों के मन में विश्वास और सुरक्षा की भावना पैदा करती हैं, जिससे वे अपने कार्य को और अधिक निष्ठा और आत्मविश्वास के साथ कर सकें। यह पहल भविष्य में देश के अन्य सरकारी व निजी संस्थानों के लिए एक अनुकरणीय उदाहरण बन सकती है।