पीएम मोदी का स्वागत और पारंपरिक अंदाज़
3 जुलाई 2025 को पीएम मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा का द्वितीय चरण शुरू हुआ। पीएम मोदी का त्रिनिदाद और टोबैगो के पीआर्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर भव्य स्वागत हुआ। इस स्वागत समारोह में त्रिनिदाद और टोबैगो की प्रधानमंत्री कमला पर्साद-बिसेसर और स्थानीय भारतीय मूल के लोग पारंपरिक भारतीय वेशभूषा में नजर आए। यह दृश्य भारतीय संस्कृति की विश्वव्यापी उपस्थिति और स्वीकार्यता का उदाहरण बना।

पीएम नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा जुलाई 2025 में भारतीय प्रवासी समुदाय, विशेष रूप से गिर्मिटिया वंशजों के लिए एक नए युग की शुरुआत लेकर आई है। यह दौरा न केवल सांस्कृतिक जुड़ाव का प्रतीक बना, बल्कि भारत की डिजिटल और सामाजिक पहल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विस्तारित करने की दिशा में भी एक बड़ी उपलब्धि रहा है।
आईए जानते हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा से जुड़ी अन्य बातें।
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PM मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान:

त्रिनिदाद और टोबैगो की राष्ट्रपति Christine Carla Kangaloo के द्वारा पीएम मोदी को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “The Order of the Republic of Trinidad & Tobago” से नवाजा गया है। पीएम नरेंद्र मोदी को यह सम्मान वैश्विक नेतृत्व, भारतीय प्रवासियों के साथ उनके गहरे जुड़ाव और कोविड-19 महामारी के दौरान उनके मानवीय प्रयासों के सम्मान में दिया गया है। उन्होंने सम्मान को स्वीकार करते हुए कहा ” मैं यह सम्मान 140 करोड़ भारतीयों की ओर से स्वीकार करता हूं” ।
यह सम्मान भारत और त्रिनिदाद के गहरे संबंधों और पीएम मोदी की वैश्विक छवि को दर्शाता है।
भारतीय प्रवासी: गर्व और पहचान
The Hindu लेख के अनुसार पीएम नरेंद्र मोदी ने शाम को त्रिनिदाद और टोबैगो की संसद को संबोधित किया। अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा,
> “भारतीय डायस्पोरा हमारी ताकत और गौरव हैं। 35 मिलियन से अधिक भारतीय मूल के लोग विश्वभर में भारत के सांस्कृतिक राजदूत हैं।
”उन्होंने गिर्मिटिया वंशजों को “राष्ट्रदूत (Rashtradoot)” कहा — यानी वे लोग जो भारत के मूल्यों, संस्कृति और विरासत को दुनिया भर में दर्शाते हैं।
गिर्मिटिया समुदाय और उनकी ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
गिर्मिटिया वे भारतीय मजदूर थे जिन्हें ब्रिटिश औपनिवेशिक काल में अनुबंध (गिर्मिट) के तहत 19वीं और 20वीं सदी में काम के लिए भारत से ले जाया गया था।
ये लोग मुख्य रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश के थे, और उन्हें फिजी, मारीशस, दक्षिण अफ्रीका, कैरेबियाई द्वीप जैसे क्षेत्रों में भेजा गया था।
त्रिनिदाद और टोबैगो में आज भी बड़ी संख्या में भारतीय मूल के लोग बसे हुए हैं, जिनमें से कई गिर्मिटिया मजदूरों की छठी पीढ़ी से आते हैं।
पीएम मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा पर “Mapping the Past” पहल की घोषणा

प्रधानमंत्री ने अपनी स्पीच में बताया कि भारत सरकार “Mapping the Past” यानी “अतीत को मानचित्रित करने” की एक विशेष परियोजना पर कार्य कर रही है।
इसका उद्देश्य
गिर्मिटिया समुदाय का एक विस्तृत डाटाबेस तैयार करना भारत के वे गाँव और शहर चिन्हित करना जहाँ से वे प्रवासित हुए ।
विश्वभर में बसे गिर्मिटिया वंशजों की जानकारी एकत्र करना
विरासत को संरक्षित करने के लिए गिर्मिटिया स्मृति संस्थानों और विश्व सम्मेलनों का आयोजन करना
यह पहल न केवल भारत से प्रवासी संबंधों को मजबूत करती है, बल्कि सांस्कृतिक गौरव को भी पुनर्स्थापित करती है।
डिजिटल इंडिया की वैश्विक छाप: UPI का विस्तार
पीएम मोदी ने घोषणा की कि त्रिनिदाद और टोबैगो कैरेबियाई क्षेत्र का पहला देश बन गया है जिसने भारत की UPI (Unified Payments Interface) प्रणाली को अपनाया है। इससे भारत और त्रिनिदाद के बीच वित्तीय लेनदेन की प्रक्रिया डिजिटल और सरल हो जाएगी।
यह डिजिटल सहयोग भारत के “डिजिटल इंडिया” मिशन को वैश्विक मंच पर आगे ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।
OCI कार्ड योजना: छठी पीढ़ी के गिर्मिटिया वंशजों के लिए सौगात
इस यात्रा का सबसे बड़ा ऐलान यह रहा कि अब छठी पीढ़ी के भारतीय मूल के नागरिकों को भी OCI (Overseas Citizens of India) कार्ड प्रदान किया जाएगा। पहले यह सुविधा केवल दूसरी या तीसरी पीढ़ी तक सीमित थी।
पीएम मोदी ने कहा:
> “आपका जुड़ाव खून या सरनेम से नहीं, बल्कि अपनत्व से है।
”यह घोषणा प्रवासी भारतीयों को भारत से और अधिक गहराई से जोड़ने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
भारत-बिहार-त्रिनिदाद संबंध
पीएम मोदी ने विशेष रूप से बिहार और पूर्वी उत्तर प्रदेश का उल्लेख किया, जो गिर्मिटिया मजदूरों की मूलभूमि थे।
बिहार और त्रिनिदाद के बीच सांस्कृतिक समानता, भोजपूरी भाषा और पारंपरिक पर्वों का पालन इस ऐतिहासिक जुड़ाव को और मजबूत बनाता है।
प्रवासी भारतीयों को प्रेरणास्रोत कहा
The Hindu के लेख के अनुसार पीएम मोदी ने अपने भाषण में कहा:
> “गिर्मिटिया संतानों की पहचान अब संघर्ष नहीं, बल्कि सेवा, सफलता और मूल्य हैं।”उन्होंने प्रवासी युवाओं को भारत से जुड़ाव बढ़ाने के लिए आमंत्रित किया और उन्हें भारत के “सांस्कृतिक योद्धा” कहा।
पीएम मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो की यात्रा के दौरान प्रमुख सांस्कृतिक संकेत
धार्मिक जुड़ाव: पीएम मोदी ने भारत और त्रिनिदाद के बीच धार्मिक और आध्यात्मिक संबंधों की भी चर्चा की।
प्रवासी भारतीय दिवस:
उन्होंने कहा कि जनवरी 2025 में ओडिशा के भुवनेश्वर में आयोजित प्रवासी भारतीय दिवस में त्रिनिदाद की राष्ट्रपति भी शामिल हुई थीं, जिससे यह जुड़ाव और मजबूत हुआ।
निष्कर्ष
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की त्रिनिदाद और टोबैगो यात्रा न केवल कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण रही, बल्कि यह एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक यात्रा बन गई।
गिर्मिटिया वंशजों को OCI कार्ड देना
डिजिटल इंडिया को ग्लोबल बनाना
भारत की सांस्कृतिक जड़ों को फिर से जोड़ना
और प्रवासी भारतीयों को उनका गौरव लौटाना
ये सभी कदम आने वाले समय में भारत और कैरेबियन देशों के बीच संबंधों को नई ऊंचाइयों पर ले जाएंगे।
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