भारत सरकार द्वारा महिलाओं के सशक्तिकरण और छोटे बच्चों की देखभाल को सुनिश्चित करने के लिए मिशन शक्ति के अंतर्गत कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन्हीं में से एक है “पालना योजना” (Palna Yojana), जो विशेष रूप से कामकाजी महिलाओं को ध्यान में रखते हुए तैयार की गई है। इस योजना का उद्देश्य छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित, सुलभ और समग्र देखभाल सेवाएं उपलब्ध कराना है ताकि महिलाएं निश्चिंत होकर कार्यक्षेत्र में योगदान दे सकें।
हाल ही में राज्यसभा में महिला एवं बाल विकास राज्य मंत्री श्रीमती सवित्री ठाकुर द्वारा यह जानकारी दी गई कि 15वें वित्त आयोग चक्र (2025-26 तक) के अंतर्गत देशभर में 17,000 एकीकृत आंगनवाड़ी-कम-क्रेच केंद्र (AWCCs) स्थापित करने का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से अब तक 14,599 केंद्रों को मंजूरी दी जा चुकी है। यह उपलब्धि पालना योजना के क्रियान्वयन की दिशा में एक बड़ा कदम मानी जा रही है।
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पालना योजना की पृष्ठभूमि और उद्देश्य
भारत जैसे देश में जहां सामाजिक और आर्थिक बदलाव तेजी से हो रहे हैं, वहां महिलाओं की कार्यबल में भागीदारी निरंतर बढ़ रही है। शिक्षा और कौशल विकास के कारण महिलाएं पहले से अधिक कार्यबल का हिस्सा बन रही हैं। परंतु इस प्रगति के बीच बच्चों की देखभाल एक बड़ी चुनौती बनकर सामने आती है, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां संयुक्त परिवार प्रणाली समाप्त हो रही है और गुणवत्तापूर्ण क्रेच सेवाएं उपलब्ध नहीं हैं।
इन्हीं समस्याओं को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने पालना योजना की शुरुआत की। यह योजना पहली बार 1 अप्रैल 2022 को लागू की गई और इसका उद्देश्य 6 महीने से 6 वर्ष तक के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण देखभाल सेवाएं प्रदान करना है, जिससे कामकाजी महिलाओं को कार्यस्थल पर अधिक स्वतंत्रता और संतुलन मिल सके।
पालना योजना के उद्देश्य
पालना योजना के कई उद्देश्य हैं, जिनमें मुख्य रूप से निम्नलिखित शामिल हैं:
1. 6 महीने से 6 वर्ष तक के छोटे बच्चों के लिए सुरक्षित, समग्र और दीर्घकालिक देखभाल सुविधा उपलब्ध कराना।
2. कामकाजी माताओं को कार्य समय के दौरान बच्चों की देखभाल की चिंता से मुक्त करना।
3. बच्चों को पोषण, टीकाकरण, स्वास्थ्य जांच, संज्ञानात्मक विकास और शिक्षा से जोड़ना।
4. महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण और लैंगिक समानता को प्रोत्साहित करना।
5. अवैतनिक देखभाल कार्य को घटाकर महिलाओं को रोजगार में टिके रहने के अवसर प्रदान करना।
योजना की प्रमुख विशेषताएं
पालना योजना को प्रभावी बनाने के लिए सरकार ने इसे आंगनवाड़ी केंद्रों के साथ जोड़ा है और एकीकृत आंगनवाड़ी-कम-क्रेच केंद्र (AWCCs) की स्थापना का निर्णय लिया है। इन केंद्रों की कुछ प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
1. एकीकृत सेवा वितरण: यह केंद्र मौजूदा आंगनवाड़ी सेवाओं के साथ मिलकर कार्य करते हैं, जिससे बच्चों को पोषण, स्वास्थ्य और शिक्षा से जुड़ी सभी सुविधाएं एक ही स्थान पर उपलब्ध होती हैं।
2. सार्वभौमिक पहुंच: ये सेवाएं केवल नामांकित लाभार्थियों के लिए नहीं, बल्कि सभी माताओं और बच्चों के लिए खुली होती हैं।
3. समग्र बाल देखभाल: इन केंद्रों में बच्चों की देखरेख के साथ-साथ पोषण, स्वास्थ्य निगरानी, टीकाकरण और पूर्व-विद्यालयी शिक्षा की सुविधा होती है।
4. SDG लक्ष्य से संबद्धता: पालना योजना सतत विकास लक्ष्य (SDG) 8 के अंतर्गत गरिमामय श्रम और आर्थिक वृद्धि के लक्ष्य को समर्थन देती है।
वित्तीय प्रावधान, समाज पर प्रभाव और प्रशासनिक व्यवस्था
पालना योजना के तहत राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों को केंद्र सरकार द्वारा वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है। राज्य और केंद्रशासित प्रदेश अपने प्रस्ताव केंद्र को भेजते हैं और अनुमोदन मिलने पर आंगनवाड़ी-कम-क्रेच केंद्रों की स्थापना की जाती है।
और इसके प्रभाव निम्नलिखित है।
- महिलाओं को रोजगार के अवसर: बच्चों की देखरेख की सुविधा मिलने से महिलाएं नौकरी में बने रह सकती हैं।
- शिशु मृत्यु दर में कमी: समय पर टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच से शिशुओं की मृत्यु दर घटाई जा सकती है।
- सामाजिक समावेशन: शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में एक जैसी सेवाएं उपलब्ध होने से सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है।
निष्कर्ष
पालना योजना सिर्फ एक बाल देखभाल सेवा नहीं, बल्कि महिलाओं के लिए आत्मनिर्भरता की ओर एक ठोस कदम है। यह योजना न केवल बच्चों की देखरेख करती है, बल्कि महिलाओं को उनके करियर में आगे बढ़ने की आज़ादी भी देती है।