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भारतीय नौसेना को मिला नया ताकतवर साथी: INS “NISTAR” से बढ़ेगी पनडुब्बी बचाव क्षमता

भारत की समुद्री सुरक्षा और नौसेनिक स्वावलंबन की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा 08 जुलाई 2025 को विशाखापत्तनम में भारतीय नौसेना को पहला स्वदेशी रूप से डिज़ाइन और निर्मित Diving Support vessel INS ”NISTAR” सौंपा गया।

18 जुलाई 2025 को भारतीय नौसेना देश के पहले स्वदेशी डिज़ाइन और निर्मित गोताखोरी सहायता INS “NISTAR” को नौसेना में शामिल करने जा रही है। यह न केवल आत्मनिर्भर भारत अभियान की दिशा में मील का पत्थर है, बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में भारत की सैन्य स्थिति को भी और मजबूत करेगा।

Photo/PIB

क्या है ? INS “NISTAR”

‘ निस्तार’ शब्द संस्कृत से लिया गया है और जिसका अर्थ है मुक्ति, बचाव अर्थात मोक्ष। ‘निस्तार’ डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) आधारित एक अत्याधुनिक जहाज है, जिसे विशाखापत्तनम में स्थित हिंदुस्तान शिपयार्ड लिमिटेड (HSL) द्वारा पूरी तरह स्वदेशी तकनीक से डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। यह पोत गहरे समुद्र में गोताखोरी सहायता और पनडुब्बी बचाव कार्यों में इस्तेमाल होगा। जलावतरण के बाद इसे भारतीय नौसेना के पूर्वी नौसेना कमान में शामिल किया जाएगा।

INS “NISTAR” निर्माण और आत्मनिर्भरता का प्रतीक

इस जहाज की सबसे बड़ी खासियत है कि इसके निर्माण में लगभग 120 MSME इकाइयों ने भाग लिया है और इसमें 75 % से अधिक स्वदेशी सामग्री का प्रयोग किया गया है। यह आत्मनिर्भर भारत की सोच को साकार करने वाली परियोजनाओं में से एक है।

तकनीकी विशेषताएं और क्षमताएं

आयाम और वज़न:

लंबाई: लगभग 120 मीटर

वजन/विस्थापन क्षमता: 10,000 टन से अधिक

‘निस्तार’ पोत में 75 मीटर की गहराई तक डाइविंग ऑपरेशन करने के लिए एक साइड डाइविंग स्टेज भी है।

⚙ डायनामिक पोजीशनिंग सिस्टम:

इस पोत में डायनामिक पोजीशनिंग सिस्टम (DPS) है, जिससे यह समुद्र की लहरों में भी सटीक स्थिरता बनाए रख सकता है। यह गहरे समुद्र में ऑपरेशन के लिए बेहद जरूरी प्रणाली है।

विशेष उपकरण:

वायु और संतुलित ड्राइविंग सिस्टम

रीमोट से संचालित वाहन (ROV)

साइड स्कैन सोनार

इन तकनीकों से यह पोत पनडुब्बियों की खोज और बचाव में अचूक भूमिका निभा सकता है।

मेडिकल और आपातकालीन सुविधाएं

‘निस्तार’ पोत पर अत्याधुनिक चिकित्सा सुविधाएं मौजूद हैं, जैसे: ऑपरेशन थिएटर

गहन चिकित्सा इकाई (ICU)

आठ बिस्तरों वाला अस्पताल

हाईपरबेरिक चिकित्सा केंद्र

यह सुविधाएं गहरे समुद्र में बचाव अभियान के दौरान घायल सैनिकों को तत्काल इलाज देने में सहायक होंगी।

बहुउद्देश्यीय मंच (Multi-Utility Platform)

‘निस्तार’ को सिर्फ गोताखोरी या पनडुब्बी बचाव तक सीमित नहीं रखा गया है, बल्कि यह एक बहुकार्यात्मक समुद्री प्लेटफॉर्म है, जो निम्नलिखित भूमिकाएं निभा सकता है:

समुद्र में 60 दिनों तक लगातार संचालन की क्षमता

15 टन का समुद्री क्रेन संचालन के लिए

डीप सबमर्जेंस रेस्क्यू व्हीकल (DSRV) के लिए ‘मदर शिप’ के रूप में भी काम करेगा, ताकि पानी के नीचे किसी पनडुब्बी में आपात स्थिति में कर्मियों को बचाया जा सके।

रणनीतिक महत्त्व

‘निस्तार’ पोत का जलावतरण भारतीय नौसेना की रणनीतिक गहराई और संचालन क्षमताओं को बढ़ाएगा। यह न केवल गहरे समुद्र में आपातकालीन हालात से निपटने की दक्षता बढ़ाएगा बल्कि भारत को हिंद महासागर क्षेत्र में एक निर्णायक समुद्री शक्ति के रूप में स्थापित करेगा।

INS “NISTAR” का इतिहास: अतीत से वर्तमान तक

इससे पहले ‘पूर्व निस्तार’ एक पनडुब्बी बचाव पोत था, जिसे भारत ने 1969 में तत्कालीन सोवियत संघ से प्राप्त किया था और 1971 में सेवा में शामिल किया गया था। दो दशकों तक सेवाएं देने के बाद इसे निष्क्रिय कर दिया गया। पुराने ‘निस्तार’ ने भारतीय नौसेना की समुद्री खोज और बचाव अभियानों में अहम योगदान दिया था।

नई पीढ़ी का निस्तार उसी विरासत को आगे बढ़ाता है। इसका आदर्श वाक्य ‘सुरक्षित यथार्थ शौर्यम्’ है, जिसका अर्थ है – “सटीकता और वीरता के साथ उद्धार।”

भविष्य की दिशा

निस्तार’ पोत भारतीय नौसेना के ‘स्वदेशीकरण मिशन’ की दिशा में एक प्रेरणादायक उदाहरण है। इस प्रकार की जटिल और तकनीकी रूप से समृद्ध परियोजनाएं भविष्य में भारत को समुद्री सुरक्षा क्षेत्र में और आत्मनिर्भर बनाएंगी।

18 जुलाई 2025 का दिन ऐतिहासिक होने जा रहा है, इस विशेष कार्यक्रम में माननीय रक्षा मंत्री श्री राजनाथ सिंह स्वयं विशाखापत्तनम में मौजूद रहेंगे और नौसेना की इस महत्त्वपूर्ण उपलब्धि के साक्षी बनेंगे। यह दिन भारतीय रक्षा उत्पादन में स्वदेशीकरण की नई गाथा का प्रतीक बनेगा।

निष्कर्ष

भारतीय नौसेना का ‘निस्तार’ पोत न केवल तकनीकी दृष्टि से अत्याधुनिक है, बल्कि यह आत्मनिर्भर भारत के सपने की दिशा में एक बड़ी छलांग भी है। इसके माध्यम से भारत समुद्र के भीतर भी अपनी रणनीतिक स्थिति को और अधिक मजबूत करेगा। यह पोत नौसेना को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में मदद करेगा और यह दर्शाता है कि भारत अब सिर्फ एक उपभोक्ता नहीं, बल्कि एक वैश्विक स्तर का सुरक्षा उत्पादक देश बन चुका है।

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