भारत में शिक्षा और रोजगार के क्षेत्र में ‘TALASH (Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub)’ कार्यक्रम के तहत एक बड़ी पहल करते हुए, नेशनल एजुकेशन सोसायटी फॉर ट्राइबल स्टूडेंट्स (NESTS) ने यूनिसेफ इंडिया, टाटा मोटर्स और एक्स-नवोदयन फाउंडेशन के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण समझौता किया है। इस साझेदारी का मुख्य उद्देश्य देशभर के एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालयों (EMRS) में पढ़ने वाले 1.3 लाख से अधिक आदिवासी छात्रों को शिक्षा, जीवन कौशल और रोजगार प्रशिक्षण देना है।
यह कदम न केवल छात्रों को बेहतर भविष्य के लिए तैयार करेगा, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर, सशक्त और नेतृत्व क्षमता से युक्त नागरिक बनाने की दिशा में भी अग्रसर करेगा। आइए इस पहल के प्रमुख आयामों और उनके प्रभाव पर विस्तार से चर्चा करें।
छात्रों की क्षमताएं पहचानने में मदद: TALASH कार्यक्रम की शुरुआत
शुरुआत किए गए प्रमुख कार्यक्रमों में एक है – TALASH (Tribal Aptitude, Life Skills and Self-Esteem Hub)। यह एक डिजिटल प्लेटफॉर्म है, जिसे यूनिसेफ के सहयोग से तैयार किया गया है। इस प्लेटफॉर्म का उद्देश्य छात्रों की प्रतिभा पहचानने में मदद करना, आत्मविश्वास को बढ़ावा देना, छात्रों को सही करियर विकल्प चुनने के लिए प्रेरित करना और TALASH कार्यक्रम में NCERT के “तमन्ना” मॉडल का भी उपयोग किया जाएगा, जिसके माध्यम से छात्रों का मूल्यांकन किया जाएगा और उन्हें उपयुक्त करियर मार्गदर्शन मिलेगा।
इस कार्यक्रम में छात्रों की क्षमताओं के आधार पर उन्हें रोजगार से जुड़ी ट्रेनिंग, करियर परामर्श और आवश्यक प्रशिक्षण उपकरण उपलब्ध कराए जाएंगे। इस पहल की शुरुआत पहले ही देशभर के 75 स्कूलों में हो चुकी है । प्रारंभ में 75 Eklavya model Residential School (EMRSs) के 189 शिक्षकों को प्रशिक्षित किया गया है।
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टाटा मोटर्स के साथ रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण कार्यक्रम
NESTS ने टाटा मोटर्स के साथ पाँच वर्ष का समझौता किया है, जिसके अंतर्गत कक्षा 12 पास छात्रों को “सीखो और कमाओ” कार्यक्रम से जोड़ा जाएगा। इस कार्यक्रम के तहत छात्रों को इंजीनियरिंग में डिप्लोमा की पढ़ाई कराना, उन्हें टाटा मोटर्स की फैक्ट्रियों में रियल वर्ल्ड वर्क एक्सपीरियंस मिलेगा ।
प्रवेश हेतु आवश्यक योग्यताएं निम्नलिखित है।
आयु: 18 से 23 वर्ष
कक्षा 10 में न्यूनतम 60% अंक
इस कार्यक्रम के तहत चयनित छात्रों को मासिक वजीफा, भोजन, परिवहन, यूनिफॉर्म, बीमा और उच्च संस्थानों (जैसे BITS पिलानी) के सहयोग से आगे की पढ़ाई का अवसर मिलेगा।
टाटा मोटर्स इन छात्रों को “वन ट्रेनिंग, वन जॉब” सिद्धांत पर आधारित फैक्ट्रियों या सर्विस सेंटर में रोजगार दिलाने में मदद करेगी।
प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए विशेष कोचिंग
उच्च शिक्षा और विज्ञान के क्षेत्र में करियर बनाने की चाह रखने वाले छात्रों के लिए विशेष कोचिंग की भी व्यवस्था की गई है। इसका उद्देश्य छात्रों को IIT-JEE और NEET जैसी कठिन परीक्षाओं के लिए तैयार करना है।

यह कोचिंग निम्नलिखित केंद्रों पर संचालित की जाएगी।
चांदपुर (महाराष्ट्र)
चित्तपल्ली (आंध्र प्रदेश)
इस योजना के अंतर्गत:
कक्षा 11 और 12 के छात्रों को आवासीय कोचिंग दी जाएगी
कक्षा 9 से ऊपर के डिजिटल ईएमआरएस छात्रों को ऑनलाइन कोचिंग दी जाएगी
ऑनलाइन कोचिंग के अंतर्गत ओलंपियाड्स, NTSE और KVPY जैसी परीक्षाओं की तैयारी कराई जाएगी, जिससे छात्र इंजीनियरिंग और मेडिकल करियर की दिशा में बेहतर कदम उठा सकें।
आदिवासी युवाओं के लिए सरकार की दूरदर्शी सोच
NESTS के आयुक्त अजीत कुमार श्रीवास्तव ने इस पहल के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि इस साझेदारी से आदिवासी छात्रों को अपनी पूरी क्षमता तक पहुँचने और नेतृत्व क्षमता विकसित करने का अवसर मिलेगा। उन्होंने कहा हैं –
> “ये कार्यक्रम आदिवासी युवाओं को आत्मविश्वास बढ़ाने, नेतृत्व क्षमता विकसित करने और जीवन में वास्तविक बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास है।”
NESTS पूरे भारत में एकलव्य मॉडल आवासीय विद्यालय चलाता है, जिनका उद्देश्य है आदिवासी छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देना। अब यूनिसेफ, टाटा मोटर्स और अन्य साझेदारों की मदद से यह प्रयास और अधिक युवाओं तक पहुँचेगा।
TALASH कार्यक्रम की पहल क्यों है खास? (विशेष बिंदु)
TALASH कार्यक्रम करियर मार्गदर्शन, आत्म-विश्वास वृद्धि
टाटा मोटर्स स्किल प्रोग्राम इंजीनियरिंग डिप्लोमा, ऑन-जॉब ट्रेनिंग, रोजगार
प्रतियोगी परीक्षा कोचिंग IIT-JEE, NEET, ओलंपियाड्स की तैयारी
डिजिटल टूल्स शिक्षक और छात्रों के लिए उपयोगी संसाधन
वंचित छात्रों को मौका शिक्षा और प्रशिक्षण के नए अवसर
निष्कर्ष
यह पहल दर्शाती है कि सरकार और निजी क्षेत्र मिलकर जब योजनाबद्ध ढंग से कार्य करते हैं, तो समाज के सबसे वंचित वर्गों को भी आगे बढ़ने का पूरा अवसर मिल सकता है। नेस्ट्स, यूनिसेफ और टाटा मोटर्स की यह संयुक्त पहल केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम नहीं, बल्कि एक सशक्तिकरण अभियान है, जो आदिवासी युवाओं को न केवल पढ़ाई के अवसर देता है, बल्कि उन्हें जीवन के लिए तैयार करता है।
भविष्य में इस तरह की साझेदारियां देश के शिक्षा और रोजगार क्षेत्र को एक नई दिशा देंगी और आदिवासी छात्रों के लिए एक नई सुबह का आगाज करेंगी।