भारत की ऐतिहासिक धरोहरों की शृंखला में एक और चमकता सितारा जुड़ गया है। पेरिस में 6 से 16 जुलाई 2025 के बीच आयोजित 47वीं UNESCO विश्व धरोहर समिति (WHC) की बैठक में ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को विश्व धरोहर सूची (World Heritage List) में शामिल किया गया है।
यह नामांकन न केवल मराठा साम्राज्य की सैन्य रणनीति का वैश्विक सम्मान है, बल्कि भारतीय स्थापत्य, इतिहास और विरासत संरक्षण के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि है।
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क्या हैं ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’?

मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ एक सामूहिक नाम है, जिसमें 12 किले और किलेबंद स्थल शामिल हैं। ये सभी किले 17वीं से 19वीं शताब्दी के बीच विकसित किए गए थे और मराठा शासन की सैन्य शक्ति, रणनीतिक सोच और वास्तुकला का शानदार उदाहरण प्रस्तुत करते हैं।
इन किलों को विशेष रूप से अलग-अलग भौगोलिक परिदृश्यो जैसे पहाड़ों, समुद्र के किनारों और मैदानों को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया था। इन किलों की बनावट और उनका स्थान उन्हें एक सैन्य चमत्कार बनाता है।
मराठा साम्राज्य और सैन्य रणनीति की झलक
मराठा साम्राज्य ने छत्रपति शिवाजी महाराज के नेतृत्व में एक ऐसी सैन्य रणनीति को अपनाया जो गुरिल्ला युद्ध, जलद रणनीति, और स्थान की श्रेष्ठता पर आधारित थी। इन किलों की संरचना में भी यही दर्शन दिखाई देता है।
मराठाओं ने जो सैन्य लैंडस्केप खड़ा किया, वह न केवल उनकी ताकत दिखाता है बल्कि प्राकृतिक संरक्षा और आत्मनिर्भरता की मिसाल भी है। अधिकांश किले ऐसे स्थानों पर बने थे जहाँ दुश्मन को पहुँचने में कठिनाई होती थी, जिससे मराठा सेना को युद्ध में रणनीतिक लाभ मिलता था।
शामिल 12 प्रमुख किले
इस लैंडस्केप में भारत के दो राज्यों — महाराष्ट्र और तमिलनाडु — के 12 किले शामिल हैं:
महाराष्ट्र के किले:
1. साल्हेर किला – भारत का सबसे ऊँचाई पर स्थित किला, नासिक जिले में।
2. शिवनेरी किला – छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्मस्थल।
3. लोहगढ़ किला – हरिहरगढ़ पर्वत श्रृंखला में स्थित, रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण।

4. खांदेरी किला – समुद्र में स्थित किला, नौसेना नियंत्रण के लिए अहम।
5. रायगढ़ किला – शिवाजी महाराज का राजधानी किला, उनका राज्याभिषेक यहीं हुआ।

6. राजगढ़ किला – सामरिक दृष्टि से उन्नत किला, कठिन चढ़ाई वाला।
7. प्रतापगढ़ किला – अफजल खान युद्ध के लिए प्रसिद्ध।

8. सुवर्णदुर्ग किला – समुद्री किला, पश्चिमी तट की सुरक्षा में सहायक।

9. पन्हाला किला – कोल्हापुर के पास स्थित, सैन्य प्रशिक्षण के लिए उपयोग में आता रहा।
10. विजयदुर्ग किला – अरब सागर में स्थित शक्तिशाली किला।11. सिंधुदुर्ग किला – शिवाजी द्वारा बनवाया गया, नौसेना का प्रमुख गढ़।

तमिलनाडु का किला:
12. जिंजी किला (Gingee Fort) – “ट्रॉय का किला” कहलाने वाला विशाल और अपराजेय किला।

मूल्यांकन प्रक्रिया और नामांकन
इस नामांकन को भारत सरकार ने यूनेस्को को 2024-25 विश्व धरोहर चक्र के लिए प्रस्तुत किया था। यूनेस्को के नियमों के अनुसार एक देश एक चक्र में केवल एक ही नामांकन दे सकता है। भारत ने इस वर्ष ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को प्राथमिकता दी।
‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ का कैसे हुआ चयन?
यूनेस्को की 47वीं विश्व धरोहर समिति की बैठक में 11 से 13 जुलाई 2025 के बीच 32 नए स्थलों की समीक्षा की गई। इनमें भारत के अलावा कैमरून, मलावी, यूएई आदि देशों के सांस्कृतिक और प्राकृतिक स्थलों पर भी चर्चा हुई। अंततः ‘मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को सांस्कृतिक श्रेणी में विश्व धरोहर घोषित किया गया।
यूनेस्को की मान्यता क्यों है महत्वपूर्ण?
1. वैश्विक पहचान: अब ये किले विश्व स्तर पर मान्यता प्राप्त धरोहर बन गए हैं।
2. संरक्षण और संरक्षण निधि: यूनेस्को अब इन स्थलों की सुरक्षा में भारत की मदद करेगा।
3. पर्यटन में वृद्धि: वैश्विक मान्यता से इन स्थलों पर देशी-विदेशी पर्यटकों की संख्या बढ़ेगी।
4. स्थानीय अर्थव्यवस्था में सुधार: पर्यटन से जुड़े व्यवसाय जैसे गाइड सेवा, होटल, हस्तशिल्प को लाभ मिलेगा।
5. शोध एवं शिक्षा को बढ़ावा: इतिहास और वास्तुकला से जुड़े शोधकर्ताओं को सामग्री उपलब्ध होगी।
मराठा वास्तुकला की विशेषताएं
मराठा किलों की स्थापत्य शैली अद्वितीय है। इनकी कुछ खास बातें:
स्थानीय सामग्री का प्रयोग – जैसे पत्थर, मिट्टी, चूना।
पानी की व्यवस्था – प्रत्येक किले में जल संचयन के लिए तालाब, कुंड और टैंक।
छोटे प्रवेशद्वार और गुप्त रास्ते – दुश्मन की निगरानी से बचाव।ऊँचाई पर निर्माण – दुश्मन पर नज़र रखने की सुविधा।
सजग सुरक्षा तंत्र – जैसे द्वारपाल टॉवर, बुर्ज, बंदूक चौकियाँ आदि।
सरकार की भूमिका और समर्थन
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (ASI) और विभिन्न राज्य सरकारों ने मिलकर इस नामांकन को सफल बनाया। इसके लिए ऐतिहासिक दस्तावेज, मैप्स, संरक्षण योजनाएँ, और किलों के स्थलीय निरीक्षण किए गए। यूनेस्को के विशेषज्ञों को भारत आमंत्रित कर इन स्थलों का विस्तृत मूल्यांकन भी करवाया गया।
मराठा गौरव और राष्ट्रवाद
मराठा साम्राज्य ने भारतीय उपमहाद्वीप में औपनिवेशिक शक्तियों के विरुद्ध संघर्ष करते हुए एक स्वतंत्रता की भावना पैदा की थी। इन किलों की मान्यता स्वराज्य के आदर्शों और भारतीय सैन्य शौर्य को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रतिष्ठा दिलाने का काम करती है।यह भारत की गौरवशाली इतिहास परंपरा, स्थानीय स्थापत्य तकनीक, और सांस्कृतिक विविधता का उत्सव भी है।
स्थानीय समुदायों का योगदान
इन स्थलों के संरक्षण में स्थानीय समुदायों की भी अहम भूमिका रही है। कई किलों की देखरेख में ग्राम सभाएँ, स्थानीय गाइड, और स्वयंसेवी संगठन वर्षों से कार्य कर रहे हैं। यूनेस्को की मान्यता के बाद इन समुदायों को भी आर्थिक व सामाजिक रूप से लाभ मिलेगा।
निष्कर्ष‘
मराठा मिलिट्री लैंडस्केप्स’ को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल किया जाना न केवल भारत के लिए एक सांस्कृतिक सम्मान है बल्कि यह हमारे इतिहास, परंपरा और गौरव की वैश्विक स्वीकार्यता का प्रतीक भी है। यह उपलब्धि न सिर्फ मराठा साम्राज्य की शौर्यगाथा का सम्मान है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को अपने अतीत से जुड़ने और उसका संरक्षण करने की प्रेरणा भी देती है।