भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रक्षा साझेदारी ने 2025 में एक नया मोड़ लिया है। जहां एक ओर भारतीय सेना को अमेरिकी AH-64E Apache अटैक हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी की प्रतीक्षा है, वहीं दूसरी ओर भारत ने भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी के तहत अमेरिकी GE इंजन के लिए समय पर डिलीवरी की मांग रखी है। इसके साथ-साथ दोनों देशों ने मिलकर 10 वर्षों के लिए एक नया डिफेंस फ्रेमवर्क साइन करने की योजना भी बनाई है।
भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी Apache हेलीकॉप्टर डील: देरी और उम्मीद
2020 में भारत ने अमेरिका के साथ करीब $600 मिलियन की डील साइन की थी जिसके तहत भारतीय सेना को 6 AH-64E Apache अटैक हेलीकॉप्टर मिलने थे। Indiatv में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक यह हेलीकॉप्टर भारतीय थलसेना की एविएशन कॉर्प्स को मिलने थे, और इनका पहला स्क्वाड्रन जोधपुर में बनाया गया है।
डिलीवरी में देरी:
पहले डिलीवरी मई–जून 2024 में होनी थी। लेकिन अब इसे जुलाई 2025 में करने की तैयारी है।
डिलीवरी न होने का कारण ग्लोबल सप्लाई चेन डिसरप्शन बताया गया है।
भारतीय सेना को इन हेलीकॉप्टरों की जरूरत पिछले 15 महीनों से है। ये हेलीकॉप्टर सेना की आधुनिकता और पश्चिमी सीमा पर तैनाती के लिहाज से बेहद महत्वपूर्ण माने जा रहे हैं।
भारतीय सेना का आधुनिकीकरण और अपाचे की भूमिका
AH-64E Apache हेलीकॉप्टर विश्व के सबसे उन्नत अटैक हेलीकॉप्टरों में गिने जाते हैं। AH-64E Apache हेलीकॉप्टर की क्षमताएँ निम्नलिखित हैं:
लंबी रेंज वाली एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें।
360-डिग्री सेंसर व ऑब्जर्वेशन सिस्टम।
नाइट ऑपरेशन क्षमताएं।
हाई ऑल्टिट्यूड ऑपरेशन सपोर्ट, जो भारत की भौगोलिक स्थिति में उपयोगी है।
भारतीय सेना के लिए यह न केवल एक सामरिक निवेश है, बल्कि चीन और पाकिस्तान जैसी सीमाओं पर तेज़ प्रतिक्रिया देने की रणनीति का हिस्सा भी है।
अमेरिका की प्रतिक्रिया और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की बैठक
जुलाई 2025 को भारत के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और अमेरिका के रक्षा सचिव पीट हेगसेथ के बीच बातचीत हुई।अमेरिका ने भारत को आश्वासन दिया कि AH-64E हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी का समाधान जल्द किया जाएगा।
अमेरिका ने भारत को दक्षिण एशिया में एक “कुंजी साझेदार (Key Partner)” बताया।
ऑपरेशन सिंदूर में अमेरिकी समर्थन
इस बैठक के दौरान राजनाथ सिंह ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अमेरिका के समर्थन के लिए धन्यवाद दिया। यह ऑपरेशन भारत की एक महत्वपूर्ण सैन्य कार्रवाई थी जिसका उद्देश्य सीमा पार आतंकवाद को रोकना था।भारत ने अमेरिका को यह भी स्पष्ट किया कि वह अपनी सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पूर्व-खतरा निरोध (pre-emptive strikes) करने का अधिकार सुरक्षित रखता है।
GE इंजन डिलीवरी पर भारत की मांग
लेख के अनुसार LCA Tejas Mk1A विमान के लिए General Electric (GE) इंजन की समय पर आपूर्ति भारत के लिए एक प्रमुख मुद्दा है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इस संबंध में भी अमेरिका से दो बातें कही:
1. इंजन की समयबद्ध आपूर्ति सुनिश्चित की जाए।
2. भारत में GE इंजन के उत्पादन के लिए यूनिट स्थापित की जाए।
अमेरिकी आश्वासन:
हेगसेथ ने भरोसा दिया कि GE इंजन की समय पर आपूर्ति की जाएगी।
उत्पादन यूनिट भारत में ही स्थापित की जाएगी, जिससे भारत की आत्मनिर्भरता (Aatmanirbhar Bharat) को बल मिलेगा।लेकिन अमेरिका की ओर से GE इंजन डिलीवरी के लिए कोई निर्धारित समयसीमा (specific timeframe) साझा नहीं की गई, जिससे भारत के रणनीतिक योजनाकारों में चिंता भी है।
रणनीतिक सहयोग की नई दिशा: 10 वर्षीय डिफेंस फ्रेमवर्क
बैठक के अंतिम चरण में दोनों देशों ने अगले 10 वर्षों के लिए नई U.S.-India Defence Framework Agreement साइन करने पर सहमति जताई
।इस फ्रेमवर्क के उद्देश्य:डिफेंस इंडस्ट्रियल को-ऑपरेशन को बढ़ावा देना।
रक्षा तकनीक का ट्रांसफर और को-प्रोडक्शन।
साइबर डिफेंस और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस आधारित सुरक्षा प्रणाली पर संयुक्त कार्य।
यह सहमति 2025 की फरवरी में प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की जॉइंट स्टेटमेंट के आधार पर बनाई गई थी।
भारत-अमेरिका रक्षा संबंधों की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध बीते दो दशकों में तेजी से मजबूत हुए हैं।
कुछ प्रमुख समझौतों में शामिल हैं:
COMCASA (Communications Compatibility and Security Agreement)
LEMOA (Logistics Exchange Memorandum of Agreement)
BECA (Basic Exchange and Cooperation Agreement)इन समझौतों के चलते दोनों देशों के बीच इंटेलिजेंस साझा करना, सैन्य अभ्यास और लॉजिस्टिक सपोर्ट संभव हो सका है।
सामरिक विश्लेषण: क्या डील में देरी चिंता का विषय है?
मानते हैं कि सप्लाई चेन की देरी ग्लोबल समस्या है, लेकिन भारत को अपनी आत्मनिर्भरता पर और ध्यान देने की आवश्यकता है। यदि GE इंजन का उत्पादन भारत में जल्द शुरू होता है तो यह भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को नई ऊँचाइयाँ देगा।
निष्कर्ष
2025 भारत-अमेरिका रक्षा साझेदारी के लिए निर्णायक वर्ष साबित हो रहा है। जहां एक ओर Apache हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी हुई है, वहीं GE इंजन के निर्माण के लिए संयुक्त प्रयासों की घोषणा सकारात्मक संकेत हैं। भारत के आत्मनिर्भर रक्षा भविष्य की दिशा में यह साझेदारी एक मजबूत कदम है।
–Focus Keywords:भारत-अमेरिका रक्षा समझौता 2025