अब अफ्रीका में भी दौड़ेंगे भारत निर्मित स्वदेशी लोकोमोटिव: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दी हरी झंड़ी ? जाने पूरी खबर

भारतीय रेल और उद्योग जगत के लिए 20 जून 2025 एक ऐतिहासिक दिन बन गया, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार के मढ़ौरा रेल फैक्ट्री से भारत में निर्मित पहले स्वदेशी लोकोमोटिव को अफ्रीकी देश गिनी को निर्यात करने हेतु हरी झंडी दिखाई।

यह पहल न केवल ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान को मजबूती प्रदान करती है, बल्कि भारत को वैश्विक व्यापार और तकनीकी साझेदार के रूप में एक नई पहचान भी देती है।

स्वदेशी लोकोमोटिव निर्यात समझौते की जानकारी

इस परियोजना के अंतर्गत भारत और गिनी के बीच ₹3,000 करोड़ का बड़ा समझौता हुआ है। इस समझौते के अंतर्गत अगले तीन वर्षों (2025-2028) में भारत द्वारा कुल 150 लोकोमोटिव गिनी को निर्यात किए जाएंगे।

इसका वितरण इस प्रकार होगा:

2025–26: 37 लोकोमोटिव

2026–27: 82 लोकोमोटिव

2027–28: 31 लोकोमोटिव

ये इंजन गिनी की सिम्फरे-सिमांडू खनन परियोजना में उपयोग किए जाएंगे, जो अफ्रीका की सबसे बड़ी खनन परियोजनाओं में से एक है।

तकनीकी और आराम सुविधाएँ

इन स्वदेशी लोकोमोटिव को भारतीय इंजीनियरों द्वारा आधुनिकतम तकनीक और अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानकों के अनुसार डिजाइन किया गया है।

इनमें निम्नलिखित प्रमुख विशेषताएँ हैं:

उत्सर्जन मानक: सर्वोत्तम, पर्यावरण अनुकूल

सुरक्षा प्रणाली: अग्नि पहचान प्रणाली

यात्री सुविधाएँ: एसी केबिन, माइक्रोवेव, रेफ्रिजरेटर, वॉटरलेस टॉयलेट तकनीक: DPWCS (Distributed Power Wireless Control System) ये लोकोमोटिव स्टैंडर्ड गेज और कैप गेज (जो अफ्रीका में प्रयुक्त होती है) दोनों में तैयार किए गए हैं, जिससे ये विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप हैं।

आर्थिक और रणनीतिक महत्व

आर्थिक प्रभाव:बिहार में रोजगार के नए अवसरों का निर्माण स्थानीय सहायक उद्योगों को बढ़ावा, भारत की निर्यात छवि को वैश्विक स्तर पर मजबूती।

कूटनीतिक प्रभाव:भारत-अफ्रीका संबंधों में मजबूती दक्षिण-दक्षिण सहयोग को बढ़ावा अफ्रीका में भारत की उपस्थिति और साख में वृद्धि।

वैश्विक स्तर पर भारत की तैयारी

यह परियोजना दर्शाती है कि भारत अब न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करने में सक्षम है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक भरोसेमंद विनिर्माता के रूप में उभर रहा है। भारत अब विभिन्न महाद्वीपों के लिए लोकोमोटिव निर्माण में सक्षम है और उसने यह सौदा वैश्विक प्रतिस्पर्धी बोली में जीतकर प्राप्त किया ।

निष्कर्ष

बिहार के माढ़ोरा रेल फैक्ट्री से शुरू हुआ यह कदम भारत के लिए गर्व का विषय है। प्रधानमंत्री मोदी की पहल से न केवल भारत की निर्यात क्षमताओं को बल मिला है, बल्कि यह देश के इंजीनियरिंग कौशल, तकनीकी नवाचार और वैश्विक दृष्टिकोण का भी प्रतीक बन गया है। आने वाले समय में ऐसे ही और प्रोजेक्ट्स भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई ऊँचाई पर ले जाने में मदद करेंगे।

# Indian railway

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