Stealth Frigate INS Tamal भारतीय नौसेना में 1 जुलाई को होगा शामिल
भारत और रूस के बीच दशकों पुराने रक्षा सहयोग का एक और ऐतिहासिक अध्याय 1 जुलाई 2025 को लिखा जाएगा, जब भारतीय नौसेना अपने नवीनतम और अत्याधुनिक Stealth Frigate INS Tamal को औपचारिक रूप से अपने बेड़े में शामिल करेगी।

यह कार्यक्रम रूस के कालिनिनग्राद स्थित यांतार शिपयार्ड में आयोजित किया जाएगा। यह न सिर्फ एक नौसैनिक उपलब्धि है, बल्कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक निर्णायक कदम भी है। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता पश्चिमी नौसेना कमान के वॉइस एडमिरल संजय जे सिंह करेंगे।https://www.instagram.com/reel/DLSBQOozzde/?igsh=YTc5dzJ6NHBwZXdl
INS तमाल क्यों है महत्वपूर्ण?
INS तमाल का भारतीय नौसेना में शामिल होना इसलिए ऐतिहासिक है क्योंकि यह विदेशी स्रोत से प्राप्त अंतिम युद्धपोत होगा। इसके बाद भारतीय नौसेना कोई भी विदेशी युद्धपोत नहीं खरीदेगी। यह भारत सरकार की मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर रक्षा नीति की सफलता का प्रतीक है। INS तमाल की कमीशनिंग ‘मेक इन इंडिया’ और स्वदेशी रक्षा उत्पादन को प्रोत्साहित करने वाली नीति को और मजबूती देती है। Stealt frigate Ins Tamal 2016 में रूस के साथ 21339 करोड़ 2.5 बिलियन डॉलर के रक्षा समझौते का एक हिस्सा है। इसके तहत चार क्रिवाक/तलवार श्रेणी के स्टील्थ युद्धपोत बनाए जा रहे हैं इनमें से दो का निर्माण रूस के यांतार शिपयार्ड में और दो अन्य का निर्माण गोवा के शिपयार्ड लिमिटेड में होना है। गोवा में बनने वाले युद्धपोत के लिए रूस अपनी प्रौद्योगिकी देगा। समझौते के तहत पहला युद्धपोत ‘INS Tushil’ पिछले वर्ष 2024 दिसंबर में यांतार शिपयार्ड में शामिल हुआ था।
INS Tamal की तकनीकी, विशेषताएं और क्षमता

INS तमाल एक अत्याधुनिक क्रिवाक/तुषील क्लास फ्रिगेट है, जिसकी लंबाई लगभग 125 मीटर और वजन 3,900 टन है। यह युद्धपोत 30 नॉट्स (लगभग 55 किमी/घंटा) से अधिक की गति प्राप्त करने में सक्षम है।
इसमें शामिल हैं:
1 – ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल – समुद्र और जमीन दोनों पर लक्षित हमलों में सक्षम
2 – सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलें
एंटी-एयर गन और रॉकेट लॉन्चर
3 – टॉरपीडो और ऑप्टिकली नियंत्रित निकट दूरी की तीव्र फायर गन प्रणाली
4 – अत्याधुनिक रडार और सेंसर तकनीक – जिससे यह दुश्मन की नजरों से बचा रह सकता है
5 – सी ट्रायल्स – तीन महीने तक कठोर समुद्री परीक्षणों में खरा उतरा
6 – इस जहाज में 250 से अधिक नौसैनिक एक साथ कार्य कर सकते हैं। इसका डिज़ाइन ऐसा है कि इसे रडार पर पकड़ना मुश्किल है, जिससे यह ‘स्टील्थ’ युद्धपोत की श्रेणी में आता है।
रणनीतिक और कूटनीतिक महत्व
Stealth Frigate INS Tamal को भारतीय नौसेना के पश्चिमी बेड़े (Sword Arm) में शामिल किया जाएगा। यह भारत-रूस रक्षा सहयोग की मजबूती को भी दर्शाता है। यह युद्धपोत रूस के सेंट पीटर्सबर्ग और कालिनिनग्राद में भारतीय नौसैनिकों द्वारा कठोर सर्दियों में प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद भारत को सौंपा गया है।इसकी कमीशनिंग से भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता, रक्षा क्षेत्र में आत्मविश्वास और उन्नत क्षमताओं का स्पष्ट संकेत मिलता है।
Stealth Frigate INS Tamal पृष्ठभूमि और निर्माण की प्रक्रिया
INS तमाल, भारत और रूस के बीच 2016 में हुए ₹21,339 करोड़ (2.5 बिलियन डॉलर) के रक्षा समझौते का हिस्सा है।https://pib.nic.in
इस समझौते के तहत चार स्टील्थ युद्धपोत बनाए जाने थे – दो रूस में और दो भारत के गोवा शिपयार्ड लिमिटेड (GSL) में।
इससे पहले इसी परियोजना के तहत INS तुशील को दिसंबर 2024 में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। तमाल और तुशील दोनों प्रोजेक्ट 1135.6 के युद्धपोत हैं, जिन्हें क्रिवाक-III क्लास के उच्च संस्करण के रूप में जाना जाता है।
INS तमाल का निर्माण रूस के कालिनिनग्राद स्थित यांतार शिपयार्ड में हुआ है, और इसकी निगरानी भारतीय नौसेना के विशेषज्ञों द्वारा की गई है।
इसमें 33% स्वदेशी उपकरणों का प्रयोग हुआ है।
INS तमाल नाम का पौराणिक महत्व
INS तमाल का नाम पौराणिकता से प्रेरित है। ‘तमाल’ वह तलवार थी जिसका प्रयोग देवताओं के राजा इंद्र द्वारा युद्ध में किया गया था। यह नाम शक्ति, साहस और विजय का प्रतीक है। जहाज के चालक दल को सामूहिक रूप से ‘The Great Bear’ भी कहा जाता है, जो गर्व और सम्मान का द्योतक है।
निष्कर्ष
Stealth Frigate INS Tamal का भारतीय नौसेना में सम्मिलित होना भारत के लिए केवल एक तकनीकी उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक बड़ा और प्रभावशाली कदम है। इससे भारतीय नौसेना की समुद्री शक्ति और सैन्य रणनीतिक क्षमता में जबरदस्त वृद्धि होगी। यह भारत-रूस रक्षा साझेदारी के दीर्घकालिक सहयोग और भरोसे का प्रत्यक्ष उदाहरण भी है।
INS तमाल के साथ भारत एक ऐसे युग में प्रवेश कर रहा है जहां भविष्य में सारे युद्धपोत देश में ही निर्मित होंगे – यह भारत की ‘सर्वदा सर्वत्र विजय’ की सोच का प्रमाण हैं।